Tuesday 26 November 2013

जनलोकपाल के बारे में पीएमओ के चिठ्ठी को जबाब....

दि. 26 .11.2013
   

मा. श्री मनमोहन सिंहजी, प्रधानमंत्री,
भारत सरकार.

                 विषय -  आप के कार्यालय का दिनांक 28 ऑक्टोबर 2013 का पत्र हमे दि. 25 नवम्बर 2013 को                                      प्राप्त हुआ। उस संदर्भ मे...

महोदय,
  आपके कार्यालय से वि. नारायनसामी जी का पत्र प्राप्त हुआ। पत्र पढकर बडा दुख हुआ। दो साल से जनलोकपाल कानून बनवाने के लिए पत्र व्यवहार हो रहा है। लेकीन आप ने और आप की सरकारने जनलोकपाल बील लाने के लिये ठोस कदम नही बढाये है। दो साल में देश की जनता से बार बार धोकाधडी की हैं। आप ने अपने पत्र में लिखा है की राज्यसभा की सिलेक्ट कमेटीने लोकपाल और लोकआयुक्त बिल की शिफारस को देखते हुए, केंद्र सरकारने राज्यसभा के सचिवालय को विधेयक दुरुस्ती के लिए राज्यसभा में रखने के लिये बताया था।
           यह बील राज्यसभा के वित्तीय अधिवेशन में मान्यता के लिये पारित करने का तय किया था। लेकिन उस अधिवेशन में बील नही लाया गया। ना लाने की वजह क्या थी, वह आप ने अपने पत्र में नही लिखा। राज्यसभा के सिलेक्ट कमेटिने अपना अहवाल 23 नवम्बर 2012 कों सरकार को भेजा था। आज पुरा एक साल हो गया है। सिलेक्ट कमेटी का 23 नवम्बर 2012 का अहवाल आने के बाद वित्तीय अधिवेशन में बिल राज्यसभा में चर्चा के लिए आना चाहीए था। लेकीन वो नही आया। वर्षाकालीन अधिवेशन में आना चाहिये था, लेकिन नही आया। ना आने की कोई वजह नही थी। वर्षाकालीन अधिवेशन में बील लाने के लिये आप ने मुझे पत्र भेजकर वादा किया था। लेकिन वर्षाकालीन अधिवेशन में भी बील नहीं आया। अब शितकालीन अधिवेशन आ रहा हैं। आप के पत्र से शितकालीन अधिवेशन में भी जनलोकपाल और लोकआयुक्त बिल आने की संभावना कम दिखायी दे रही हैं। आप और आप की पार्टी के नेता बार बार यह आश्वासन देते आ रहे है कि, भ्रष्टाचार को रोखने के लिये सशक्त लोकपाल होना चाहिए। उस के लिये सरकार कटीबद्ध हैं। मात्र अंमल में नहीं आ रहा हैं, यह दुर्भाग्य की बात हैं। सरकार जनलोकपाल और लोकआयुक्त बिल लाने के लिये कटीबद्ध हैं, एैसा आप सभी बार बार कहते आयें हैं, लेकिन दो साल हो चुके हैं, अभितक बिल नहीं आया। राज्यसभा के सिलेक्ट कमेटी का अहवाल 23 नवंबर 2012 को आया था। अब सिर्फ राज्यसभा में चर्चा करनी बाकी हैं। फिर भी एक साल सें किस कारण चर्चा नहीं हों रही हैं, ये समझ में नहीं आता। आप ने अपने पत्र में लिखा हैं कि इस विधेयक में दो रंग हैं। एक सपोर्ट करनेवाला और दुसरा विरोध करनेवाला। ये दो रंग होते हुये भी आपकी सरकार ने भुमी अधिग्रहण बील, फुड सिक्योरिटी बिल, पेन्शन बिल, जेल में बंद होते हुए भी चुनाव लडने की अनुमती वाला बिल, राष्ट्रपती पद का चुनाव इन सभी में सफलता पायी हैं। राज्यसभा में एम.पी. का सबसे बडा गट आपके पार्टी का हैं। सिलेक्ट कमेटी का अध्यक्ष आपकी पार्टी का हैं। सरकार ने यह बिल पास करना तय किया तो असंभव कुछ भी नही हैं। लेकिन सरकार की मंशा ना होने के कारण आप जनता की बार बार दिशाभूल कर रहें हैं।
             आप ने पत्र में लिखा हैं यह महत्वपूर्ण विधेयक जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण हैं। उस पर लोकतंत्र के माध्यम से सभागृह में चर्चा कर के अंमल करना जरुरी हैं। यह बिल लोकसभा में एक दिन में सर्व सम्मती से पारित होता है। स्थायी समिती में पारित होता हैं और राज्यसभा में सिलेक्ट कमिटी बनाई जाती हैं और सिलेक्ट कमेटी अपना अहवाल 30 नवम्बर 2012 को भेज दिया जाता हैं। और एक साल से वहाँ पर अटक जाता हैं। यह सरकार की मंशा का सवालं हैं। अब राज्यसभा में सिर्फ चर्चा करना बाकी हैं। इसके लिये एक साल का समय लगता हैं। इसका अर्थ स्पष्ट हैं कि यह बिल लाने की सरकार की मंशा नही हैं।
             आप मुझें भेजनेवाले हर पत्र में बार बार लिखते हैं कि, केंद्र सरकार लोकपाल और लोकआयुक्त बील जल्द से जल्द पारित करने के लिये प्रयत्नशील हैं। एैसे झुठे आश्वासन देते देते दो साल का समय बीत गया हैं। लेकिन जनलोकपाल और जनलोआयुक्त बील अभितक नहीं आया। मैंने पहले पत्र में लिखा था कि सरकार जनलोकपाल बील लानें में बार बार धोका-धडी कर रहीं हैं, इसलिए मै शितकालीन अधिवेशन के पहले दिन से रामलीला मैदान में आंदोलन करुंगा।
              मेरा ऑपरेशन हुआं हैं । तबियत ठिक नहीं हैं। डॉक्टर ने सफर करने के लिए साफ मना किया हैं। इस लिए अब रामलिला मैदान की बजायें दुसरी जगह पर मेरा आंदोलन शुरु होगा। आगे के पत्र में वो जगह कहाँ होगी वह आप को लिखुंगा।
आपका,

कि. बा. तथा अण्णा हजारे,
रालेगणसिद्धी.



No comments:

Post a Comment